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किसानों संग बातचीत से पहले अमित शाह की अध्‍यक्षता में विचार-विमर्श, सरकार को हल निकलने का भरोसा

 

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 30 दिसंबर को बातचीत होनी है। इससे पहले सरकार के स्‍तर पर विचार- विमर्श हुुुआ है। गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में चल रही ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की बैठक खत्म हो गई है। ये बैठक करीब 2 घंटे चली। इस बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा सहित गृह मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कल किसानों के साथ बातचीत होगी। उम्मीद है सरकार और किसानों के बीच बातचीत सकारात्मक कदम के साथ आगे बढ़ेगी, ऐसा पूरा विश्वास है। वार्ता से पहले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सरकार से जुड़े सूत्र ने कहा कि बुधवार की बैठक के लिए सरकार की स्थिति पर चर्चा की और अंतिम रूप दिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्‍य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करेंगे।

नौ दिसंबर को अमित शाह ने किसान नेताओं से की थी बातचीत

सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। इसके बाद छठे चरण की वार्ता के लिए नौ दिसंबर को प्रस्तावित बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत की थी। उन्हीं के सुझाव के आधार पर सरकार की ओर से किसान संगठनों को उन मुद्दों की सूची भेजी गई, जिन्हें पिछली वार्ताओं में चिन्हित किया गया था, लेकिन उस प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर आंदोलन को तेज करने की घोषणा कर दी।

साफ नियत और खुले मन से बातचीत के लिए प्रतिबद्ध

किसान संगठनों को भेजे गए अपने पत्र में कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने उनके मुद्दों पर विस्‍तार से चर्चा करने की बात कही। संजय अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार साफ नियत और खुले मन से प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। इससे सकारात्मक नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद जगी है।

34 दिनों से दिल्‍ली की सीमाओं पर डटे हैं किसान

26 दिसंबर को किसान संगठनों ने केंद्र सरकार को चार शर्तों पर बातचीत का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें पहली शर्त यही है कि तीनों कृषि कानून रद करने की प्रक्रिया पर सबसे पहले बात हो। इसके अलावा एमएसपी की गारंटी की मांग की गई है। अपनी मांगों के साथ हजारों किसान 34वें दिन भी दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं।

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